मैं हूँ हिंदी, हिंदी है मुझमे रोम -रोम में , मन चितवन में प्राण-प्राण में, आभा के उपवन में मैं उसमे ... मैं हूँ हिंदी, हिंदी है मुझमे रोम -रोम में , मन चितवन में प्राण-प्राण में, आभा क...
महान हिन्दी महान हिन्दी
मेरी ज़िदगी में आकर तुमने... मेरी ज़िदगी में आकर तुमने...
साहित्य की भाषा हो हिंदी, व्यवहार की भाषा हो हिंदी साहित्य की भाषा हो हिंदी, व्यवहार की भाषा हो हिंदी
और सोचने पर मजबूर कर दिया , "क्या मैं इस दिन को भूल गया ?" और सोचने पर मजबूर कर दिया , "क्या मैं इस दिन को भूल गया ?"
वो हमें याद करतें हैं इसे तुम प्यार मत समझोबात तो ये है कि उनकी उधारी बाकी है हमपे वो हमें याद करतें हैं इसे तुम प्यार मत समझोबात तो ये है कि उनकी उधारी बाकी है हम...